आज के डिजिटल युग में Artificial Intelligence (AI) ने कंटेंट क्रिएशन की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया है। जहाँ पहले वीडियो बनाने के लिए बड़े-बड़े कैमरे, एडिटिंग स्टूडियो, महंगे सॉफ्टवेयर और विशेषज्ञों की ज़रूरत होती थी, वहीं अब केवल कुछ क्लिक में AI से शानदार वीडियो तैयार किए जा सकते हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे YouTube, Instagram, Facebook, TikTok, X (Twitter) आदि पर चलेंगे या नहीं, इन पर कॉपीराइट आएगा या नहीं और अगर वीडियो वायरल हो गया तो कोई आपत्ति करेगा या नहीं। इसके अलावा यह भी जानना ज़रूरी है कि लोगों को कैसे पता चलेगा कि वीडियो AI से बनाया गया है।
सबसे पहले समझना ज़रूरी है कि AI से बनाए गए वीडियो के दो मुख्य प्रकार होते हैं – (1) पूरी तरह से AI-जनरेटेड वीडियो, जिसमें कैरेक्टर, वॉइस, स्क्रिप्ट और विज़ुअल्स सबकुछ AI से बनाया गया हो; और (2) AI-असिस्टेड वीडियो, जिसमें इंसान अपने फुटेज या कंटेंट का इस्तेमाल करता है और AI सिर्फ एडिटिंग, बैकग्राउंड, वॉइस-ओवर या इफ़ेक्ट्स देने में मदद करता है। इन दोनों प्रकार के वीडियो पर सोशल मीडिया की नीतियाँ और कॉपीराइट नियम अलग-अलग तरीके से लागू होते हैं।
अब सवाल आता है कि क्या AI से बनाए गए वीडियो सोशल मीडिया पर चलेंगे? इसका सीधा जवाब है हाँ, चलेंगे, बशर्ते कि आप प्लेटफ़ॉर्म की पॉलिसी और गाइडलाइंस का पालन करें। YouTube, Instagram और TikTok जैसे प्लेटफ़ॉर्म अब AI कंटेंट को पूरी तरह बैन नहीं करते बल्कि उसे नियंत्रित और ट्रैक करने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिए YouTube ने 2024 से एक नया नियम लागू किया है कि यदि कोई कंटेंट AI से जनरेट किया गया है, तो क्रिएटर को इसे डिस्क्लोज़ (खुलासा) करना होगा। इसका मतलब यह है कि वीडियो अपलोड करते समय आपको बताना होगा कि इसमें AI का इस्तेमाल हुआ है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि दर्शकों को पारदर्शिता मिले और कोई उन्हें धोखा न दे सके।
कॉपीराइट का मुद्दा AI कंटेंट के साथ सबसे बड़ा सवाल है। यदि आप AI से वीडियो जनरेट करते हैं और उसमें फ्री-टू-यूज़ डेटा, म्यूज़िक और इमेज का इस्तेमाल होता है, तो सामान्यतः उस पर कॉपीराइट नहीं आएगा। लेकिन अगर AI ने किसी मौजूदा फिल्म, गाना, या किसी दूसरे कलाकार की आवाज़/चेहरा हूबहू कॉपी कर दिया है, तो यह कॉपीराइट और पब्लिसिटी राइट्स का उल्लंघन माना जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी बॉलीवुड गायक की आवाज़ की हूबहू नकल करके AI वॉइस से गाना गाते हैं और उसे पब्लिश करते हैं, तो उस पर कॉपीराइट क्लेम आ सकता है। इसी तरह, अगर आप किसी मशहूर व्यक्ति की तस्वीर या वीडियो को AI से रीक्रिएट करते हैं, तो यह डीपफेक की श्रेणी में आ सकता है और उस पर कानूनी आपत्ति भी हो सकती है।
अब यह सवाल आता है कि यदि आपका AI जनरेटेड वीडियो वायरल हो गया तो कोई आपत्ति करेगा या नहीं। इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि आपने वीडियो किस आधार पर बनाया है। यदि वीडियो पूरी तरह से ओरिजिनल है, यानी किसी का चेहरा, आवाज़, गाना या फिल्मी सीन कॉपी नहीं किया गया, तो किसी को आपत्ति करने की संभावना कम है। बल्कि लोग आपके टैलेंट और क्रिएटिविटी की तारीफ करेंगे। लेकिन अगर वीडियो में किसी मशहूर व्यक्ति की नकली आवाज़ या चेहरा दिखाया गया है, तो आपत्तियाँ उठ सकती हैं। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स भी अब ऐसे वीडियो को ट्रैक करने लगे हैं और यदि वीडियो किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाता है तो उसे हटाया जा सकता है।
लोगों को यह कैसे पता चलेगा कि वीडियो AI से बनाया गया है? दरअसल, आजकल AI डिटेक्शन टूल्स बहुत एडवांस हो चुके हैं। YouTube और Meta (Facebook/Instagram) जैसी कंपनियाँ बैकएंड में AI ट्रैकिंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल करती हैं, जो यह पहचान सकते हैं कि कोई वीडियो पूरी तरह से असली है या उसमें AI का प्रयोग हुआ है। इसके अलावा, AI वीडियो में अक्सर कुछ सूक्ष्म खामियाँ होती हैं जैसे – होंठों की मूवमेंट आवाज़ से पूरी तरह मेल नहीं खाना, बैकग्राउंड का अस्वाभाविक दिखना, रोशनी का गलत होना, या किसी व्यक्ति की आँखों की नैचुरल पलक झपकने में गड़बड़ी होना। दर्शक भी धीरे-धीरे इन चीज़ों को पहचानने लगे हैं। कई प्लेटफ़ॉर्म अब AI कंटेंट पर वॉटरमार्क या लेबल भी लगा देते हैं ताकि दर्शक को पता चल सके कि यह AI से जनरेटेड है।
अगर नैतिक दृष्टि से देखा जाए तो AI से बनाए गए वीडियो में सबसे बड़ी चुनौती है – ट्रस्ट (भरोसा)। यदि दर्शक को यह पता चलता है कि उसे धोखा देकर कोई वीडियो दिखाया गया है, तो वह क्रिएटर पर भरोसा नहीं करेगा। इसलिए ज़रूरी है कि क्रिएटर अपने दर्शकों को पारदर्शिता दे और स्पष्ट बताए कि वीडियो AI से बनाया गया है या नहीं। इससे न सिर्फ़ कॉपीराइट और लीगल दिक्कतें कम होंगी, बल्कि आपके ब्रांड और चैनल की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
भविष्य में AI जनरेटेड वीडियो का ट्रेंड और भी बढ़ेगा। मार्केटिंग कंपनियाँ, फिल्म इंडस्ट्री, गेमिंग कंपनियाँ और यहाँ तक कि न्यूज चैनल भी AI वीडियो का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ-साथ नियम भी कड़े किए जा रहे हैं। सरकारें और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म इस बात पर नज़र रख रही हैं कि कहीं AI का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा। जैसे भारत, यूरोप और अमेरिका में कानून बनाए जा रहे हैं कि AI कंटेंट को सही लेबलिंग और डिस्क्लोज़र के साथ ही इस्तेमाल किया जाए।
अंततः, यदि आप एक कंटेंट क्रिएटर हैं और AI का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो यह आपके लिए सुनहरा अवसर है। लेकिन ध्यान रहे कि आपको हमेशा ओरिजिनल आइडिया, खुद की स्क्रिप्ट और यूनिक कंटेंट पर भरोसा करना चाहिए। AI को एक टूल की तरह इस्तेमाल करें, न कि धोखा देने के लिए। यदि आपने जिम्मेदारी से AI वीडियो बनाया और प्लेटफ़ॉर्म की गाइडलाइंस का पालन किया, तो वह न केवल सोशल मीडिया पर चलेगा बल्कि आपको पॉपुलैरिटी भी दिलाएगा। वहीं अगर आपने बिना सोचे-समझे किसी का कंटेंट कॉपी किया, तो कॉपीराइट क्लेम, स्ट्राइक और यहां तक कि अकाउंट बैन होने तक की नौबत आ सकती है।
इसलिए निष्कर्ष यही है कि – AI से जनरेटेड वीडियो सोशल मीडिया पर चल सकते हैं, लेकिन उन पर कॉपीराइट तभी नहीं आएगा जब वे पूरी तरह से यूनिक और ओरिजिनल हों। वायरल होने पर कोई आपत्ति तभी करेगा जब वीडियो किसी की प्राइवेसी, पब्लिसिटी राइट्स या कॉपीराइट का उल्लंघन करता हो। लोगों को यह पता चल सकता है कि वीडियो AI से बनाया गया है, क्योंकि अब तकनीक इतनी एडवांस हो चुकी है कि AI और रियल में फर्क करना आसान होता जा रहा है। सही तरीके से और ईमानदारी से AI वीडियो बनाने वाले क्रिएटर के लिए यह तकनीक भविष्य में एक बड़ा वरदान साबित हो सकती है।
यह कुछ AI वीडियो जनरेटर वेबसाइट्स / ऐप्स के लिंक जिनका उपयोग आप कर सकते हैं
- Synthesia — https://www.synthesia.io/
- InVideo AI — https://invideo.io/make/ai-video-generator/
- Adobe Firefly (Text-to-Video) — https://www.adobe.com/products/firefly/features/ai-video-generator.html
- Canva AI’s “Create a Video Clip” (powered by Veo-3) — https://www.canva.com/features/ai-video-generator/
- OpenAI Sora — https://sora.chatgpt.com/
- VideoGPT — https://videogpt.io/
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