इंस्टाग्राम पर AI लेबल का मतलब है कि जब कोई क्रिएटर AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) द्वारा बनाए या बदले गए कंटेंट को अपलोड करता है, तो उसे उस पोस्ट पर एक खास लेबल जोड़ना होता है. इस लेबल का मकसद पारदर्शिता बढ़ाना है, ताकि लोगों को पता चले कि वे जो कंटेंट देख रहे हैं, वह किसी इंसान ने नहीं, बल्कि AI ने बनाया है या उसमें AI का इस्तेमाल हुआ है. इंस्टाग्राम पर AI लेबल कैसे लगाएं? इंस्टाग्राम पर AI लेबल लगाने की प्रक्रिया बहुत आसान है. आइए इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं: सबसे पहले, अपनी पोस्ट तैयार करें (फोटो या वीडियो). पोस्ट को शेयर करने से पहले, Advanced settings पर जाएं. यहां, आपको AI-generated content का एक ऑप्शन मिलेगा. इसे ऑन (toggle on) करें. अब आप अपनी पोस्ट शेयर कर सकते हैं. एक बार जब आप इस सेटिंग को ऑन कर देते हैं, तो आपकी पोस्ट पर AI-generated या Made with AI जैसा लेबल दिखने लगेगा. यह लेबल पोस्ट के ऊपर, आपके यूजरनेम के ठीक नीचे दिखाई देता है.। यह कैसे काम करता है? इंस्टाग्राम का AI लेबल एक तरह से चेतावनी की तरह काम करता है. इसका मुख्य उद्देश्य यह...
राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में रहने वाले बिश्नोई समाज और जाट समाज के बीच के संबंध का पूरा ऐतिहासिक व वर्तमान परिदृश्य
मारवाड़ में बिश्नोई समाज और जाट समाज – ऐतिहासिक संबंध 1. बिश्नोई समाज की उत्पत्ति बिश्नोई पंथ की स्थापना 1485 ई. में गुरु जांभोजी (जांभेश्वर भगवान) ने मारवाड़ के पीपासर (वर्तमान नागौर ज़िला) में की। जांभोजी स्वयं पंवार (पंवार राजपूत) वंश से थे, लेकिन उनके शिष्य अलग-अलग जातियों से आए, जिनमें जाट , राजपूत , सुनार , मेघवाल आदि शामिल थे। बिश्नोई धर्म का आधार 29 नियम हैं (इसी कारण नाम "बीस-नोई"), जिनमें से कई नियम पर्यावरण संरक्षण, जीव रक्षा और नशा त्याग पर केंद्रित हैं। 2. जाट समाज से गहरा जुड़ाव गुरु जांभोजी के शिष्यों में बड़ी संख्या जाट जाति से थी। राजस्थान के मारवाड़ में रामपुरिया, भदू, भंयाला, मुकाम आदि गाँवों में जाट मूल के बिश्नोई परिवार बस गए। शुरुआती दौर में बिश्नोई पंथ अपनाने वाले कई जाट गोत्र (जैसे — भदू, खींवसरिया, जाखड़, करमसरिया) पूरी तरह बिश्नोई धर्म में रच-बस गए। बिश्नोई पंथ में आने के बाद भी लोगों ने अपने जाट गोत्र नाम कायम रखे, जिससे पहचान बनी रही। 3. ऐतिहासिक सहयोग और संघर्ष पर्यावरण संरक्षण में एकजुटता: जाट किसानों औ...