(जन्म : 8 दिसंबर 1935 – निधन : 24 नवंबर 2025)
भारतीय सिनेमा के “ही-मैन” और करोड़ों दिलों की धड़कन धर्मेन्द्र देओल अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने लगभग सात दशकों तक हिंदी फिल्म उद्योग को न सिर्फ सजाया, बल्कि भारतीय मर्दानगी, सरलता और दिल-कश अभिनय की एक नई परंपरा कायम की। गांव से मुंबई तक उनका सफर संघर्ष, मेहनत, प्रेम, दोस्ती और अनगिनत सफलताओं का जीवित प्रतीक रहा।
जन्म, बचपन और पारिवारिक जीवन
धर्मेन्द्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के नसराली गाँव में हुआ। उनका बचपन पास के गाँव साहनेवाल में बीता जहां उनके पिता स्कूल शिक्षक थे।
परिवार:
- पिता — केवल कृष्ण सिंह देओल
- माता — सतवंत कौर
- एक सादा, खेती से जुड़ा और धार्मिक पंजाबी परिवार
- जीवन के प्रारंभिक वर्ष सादगी और ग्रामीण संस्कृति से भरे
धर्मेन्द्र को बचपन से ही गांव की मिट्टी, खेती, लोक-संगीत और देसी जीवन से गहरा लगाव था। शायद इसी कारण बुढ़ापे तक वे मुंबई और लोनावला में होने के बावजूद खेती और देसी जीवनशैली नहीं छोड़ पाए।
शिक्षा और शुरुआती संघर्ष
धर्मेन्द्र ने 1952 में लुधियाना से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद वे कुछ समय कपूरथला की एक ड्रिल मशीन कंपनी में काम भी करते रहे।
उन्हें बचपन से ही फिल्मों का शौक था। वे दिलीप कुमार, गुरु दत्त और अशोक कुमार की फिल्में बड़े चाव से देखते थे। उनका सपना था कि एक दिन वे भी बड़े परदे पर चमकेंगे।
1950 के दशक के अंत में उन्होंने Filmfare New Talent Hunt में भाग लिया, जहाँ उनकी तस्वीर और व्यक्तित्व ने निर्णायकों को प्रभावित किया। यही वो क्षण था जिसने एक साधारण गाँव के युवक को मुंबई की ओर धकेल दिया।
मुंबई आगमन — सपनों का शहर, संघर्ष का दौर
1950 के दशक के अंतिम वर्षों में धर्मेन्द्र मुंबई आए। शुरुआत संघर्षपूर्ण थी:
- रहने के लिए जगह नहीं
- जेब में बहुत कम पैसे
- फिल्मों में काम पाने के लिए रोज स्टूडियो के चक्कर
वे बताते थे कि कई-कई दिनों तक वे सिर्फ चाय पिए बिना काम की तलाश में घूमते रहते।
फिल्मी दुनिया में उनका सुंदर, देहाती और गंभीर व्यक्तित्व बहुत अलग था। जल्दी ही उन्हें छोटे रोल मिलने लगे।
पहली फिल्म और करियर की शुरुआत
उनकी पहली फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ (1960) थी।
धीरे-धीरे वे रोमांटिक हीरो के रूप में पहचाने जाने लगे। उनकी गंभीर आँखें, सादा व्यक्तित्व और एक खास मासूमियत दर्शकों को खूब भाती थी।
1960–1970 : रोमांटिक हीरो से स्टार बनना
इस अवधि की महत्वपूर्ण फ़िल्में:
- अनपढ़ (1962)
- फूल और पत्थर (1966)
- बहारों की मंज़िल
- मैं भी लड़की हूँ
- आया सावन झूम के
फूल और पत्थर ने उन्हें स्टार बना दिया। यही वह फिल्म थी जिसने उन्हें “एक्शन हीरो” की छवि दी।
1970–1985 : सुपरस्टार धर्मेन्द्र का स्वर्णियुग
यह दौर उनकी सबसे सफल यात्राओं में रहा।
वे रोमांस, कॉमेडी, एक्शन और ड्रामा — हर शैली के उस्ताद बन चुके थे।
मुख्य फिल्में:
- शोले (1975) — वीरू का किरदार अमर हो चुका है
- चुपके चुपके (1975) — कॉमेडी का मास्टरक्लास
- शराबी, राजा जानी, प्रतिग्या, सत्यकाम,
- मेरा गांव मेरा देश, धूल का फूल, सीता और गीता
- यादों की बारात, ब्लैकमेल, दो चोर, निकाह
धर्मेन्द्र को “ही-मैन ऑफ बॉलीवुड” कहे जाने की वजह उनकी एक्शन फिल्मों की लोकप्रियता थी।
हेमा मालिनी के साथ ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री
धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की जोड़ी 1970–80 के दशक की सबसे बड़ी जोड़ी थी।
दोनों ने 40 से अधिक फिल्मों में साथ काम किया।
धीरे-धीरे उनका रिश्ता दोस्ती से विवाह तक पहुँचा।
हेमा को शादी के लिए धर्मेन्द्र ने धर्म परिवर्तन कर के शादी की, क्योंकि उनकी पहली शादी प्रकाश कौर से थी।
व्यक्तिगत जीवन
पहली पत्नी : प्रकाश कौर
विवाह — 1954
बच्चे —
- सनी देओल
- बॉबी देओल
- विजेता
- अजीता
दूसरी पत्नी : हेमा मालिनी
बच्चे —
- ईशा देओल
- अहाना देओल
दो परिवारों को संभालना आसान नहीं था, लेकिन धर्मेन्द्र ने दोनों के प्रति सम्मान और दायित्व निभाए।
1990–2010 : चरित्र भूमिकाओं का दौर
बुढ़ापे में धर्मेन्द्र ने मुख्य भूमिकाओं से ज्यादा कैरेक्टर रोल करने शुरू किए:
- जानी-दुश्मन
- अपने (2007) — देओल परिवार की आइकॉनिक फिल्म
- यमला पगला दीवाना सीरीज़ (2011–2018)
इस बीच वे खेती, पंजाबी संस्कृति और अपनी निजी जिंदगी में ज्यादा व्यस्त रहने लगे।
राजनीति
धर्मेन्द्र 2004 में राजस्थान के बीकानेर से BJP के टिकट पर लोकसभा सांसद चुने गए।
वे राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं रहे, लेकिन उनकी लोकप्रियता अपार थी।
2010–2025 : आखिरी साल, स्वास्थ्य और सरल जीवन
धर्मेन्द्र बुढ़ापे में कमजोर होने लगे थे।
वे अक्सर लोनावला वाले फार्महाउस में रहते थे
जहाँ वे गाय-भैंसों से लेकर पेड़-पौधों की देखभाल तक सब खुद करते।
वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते थे और अक्सर अपने सरल, देसी वीडियो शेयर करते थे।
निधन — एक युग का अंत
24 नवंबर 2025, उम्र 89 वर्ष, मुंबई में उनके घर पर निधन।
वे कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और हाल ही में अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आए थे।
उनका अंतिम संस्कार पवन हंस, मुंबई में किया गया।
पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
प्रधानमंत्री, सभी प्रमुख फिल्म कलाकार, निर्देशक और करोड़ों प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
धर्मेन्द्र की विरासत (Legacy)
धर्मेन्द्र सिर्फ अभिनेता नहीं थे —
वे भारतीय सिनेमा के सबसे प्राकृतिक, सबसे देसी, सबसे भावुक और सबसे ईमानदार कलाकारों में से एक थे।
उनकी विरासत:
- 60+ वर्षों का करियर
- 300+ फिल्में
- सबसे बड़ी ऑन-स्क्रीन जोड़ी (हेमा–धर्मेन्द्र)
- बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय परिवारों में से एक — देओल परिवार
- प्राकृतिक अभिनय और देहाती करिश्मे की मिसाल
- एक्शन हीरो की परिभाषा बदलने वाले
उनकी मुस्कान, उनकी आंखों की चमक, उनका देसीपन — सब कुछ भारतीयों की यादों में हमेशा जीवित रहेगा।
धर्मेन्द्र का जीवन एक कहानी है—
गांव के एक साधारण लड़के से लेकर
भारत के सबसे बड़े सुपरस्टार बनने तक की कहानी।
वह सिर्फ अभिनेता नहीं थे,
बल्कि हिंदी सिनेमा का भावनात्मक, शक्तिशाली और सादगी भरा चेहरा थे।
उनका जाना एक युग का जाना है
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