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ज़िंदगी में रुकावटें आएंगी। प्लान बिगड़ेंगे। चीज़ें उम्मीद से कहीं ज्यादा वक्त लेंगी लेकिन सब्र के आगे सब धारा सही है जैसे सुनीता विलियम और बैरी विल्मोर की कहानी है

आपको लगता है कि आपके प्लान काम नहीं कर रहे?

तो ज़रा सोचिए, सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर को भी यही लगा होगा।

वो सोचकर गए थे कि 8 दिन के लिए अंतरिक्ष में रहेंगे।
पर वो 286 दिन तक वहीं फंसे रह गए!

वो सचमुच अंतरिक्ष में फंसे हुए थे।

सोचिए ज़रा:
आपने छोटी सी ट्रिप के लिए सामान पैक किया, और आप लगभग एक साल तक लौट ही नहीं पाए।

कोई ताज़ी हवा नहीं। असली खाना नहीं। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं—बस इंतज़ार।

और ये भी पता नहीं कि कब (या फिर क्या आप वापस लौट पाएंगे भी या नहीं)।

और हम यहाँ, सब्र खो देते हैं जब:
• 10 मिनट का ट्रैफिक जाम हो जाता है।
• कोई डील कुछ महीने लेट हो जाती है।
• एक रिजेक्शन ईमेल देखकर हार मान लेते हैं।

नज़रिया बदलो।
इन अंतरिक्ष यात्रियों के पास कोई कंट्रोल नहीं था।
कोई टिकट नहीं बुक कर सकते थे।
बस शांत रहना था, भरोसा रखना था, और 286 दिन तक धैर्य रखना था।
और आखिर में… वो लौटे।
सिर्फ लौटे ही नहीं, इतिहास भी रच दिया।

अगर ये सब्र, हिम्मत, और समाधान की सबसे बड़ी मिसाल नहीं है, तो फिर क्या है?

इन दोनों को सलाम!
वो सिर्फ बचे नहीं, बल्कि मिसाल बन गए।

तो अगली बार जब ज़िंदगी में कुछ लेट हो जाए या प्लान बदल जाए… याद रखना:
कम से कम हम अंतरिक्ष में फंसे नहीं हैं!

ज़िंदगी में रुकावटें आएंगी। प्लान बिगड़ेंगे। चीज़ें उम्मीद से कहीं ज्यादा वक्त लेंगी।
लेकिन अगर ये अंतरिक्ष यात्री 8 दिन की जगह 9 महीने अंतरिक्ष में टिक सकते हैं…

तो हम भी अपनी ज़िंदगी के रास्ते बदलते हालात संभाल सकते हैं

🙏💐

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