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₹2,000 से अधिक के UPI लेनदेन पर GST सरकार हर व्यक्ति के ट्रांजेक्शन पर रखेगी निगरानी

UPI GST के नए नियमों के बारे
UPI GST: नई चर्चा और  नियम

हाल ही में, यह चर्चा ज़ोरों पर है कि सरकार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से किए गए लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने पर विचार कर रही है।

 * प्रस्तावित सीमा: ऐसा प्रस्ताव है कि ₹2,000 से अधिक के UPI लेनदेन पर GST लगाया जा सकता है।
 * संभावित GST दर: इस पर 18% की मानक GST दर लागू होने की संभावना है। कुछ रिपोर्ट्स में 5% की दर का भी उल्लेख है।
 * दायरा: यह नियम संभावित रूप से व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) और व्यापारियों और व्यवसायों को किए गए भुगतान दोनों पर लागू हो सकता है। हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसका मुख्य लक्ष्य व्यापारी और व्यावसायिक भुगतान होंगे, जबकि व्यक्तिगत लेनदेन छूट प्राप्त कर सकते हैं।
 * उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य उच्च-मूल्य के डिजिटल लेनदेन को औपचारिक कर ढांचे के अंतर्गत लाना, कर अनुपालन को बढ़ाना और संभावित रूप से GST राजस्व में वृद्धि करना है।
 * कार्यान्वयन तिथि: आज, 18 अप्रैल, 2025 तक, कार्यान्वयन तिथि के संबंध में  आधिकारिक   प्रस्ताव अभी भी विचाराधीन है।
कार्यान्वयन होने पर संभावित प्रभाव:
 * व्यक्तियों के लिए:
   * किराने का सामान, भोजन और ऑनलाइन शॉपिंग जैसी दैनिक UPI भुगतान यदि ₹2,000 से अधिक हों तो महंगे हो सकते हैं।
   * उपयोगकर्ता सीमा से नीचे रहने के लिए बड़े भुगतानों को छोटी राशि में विभाजित करना शुरू कर सकते हैं, जो असुविधाजनक हो सकता है।
   * लेनदेन की राशि और संभावित GST शुल्क के बारे में अधिक जागरूकता आवश्यक होगी।
 * छोटे व्यापारियों और फ्रीलांसरों के लिए:
   * जो लोग UPI के माध्यम से अक्सर ₹2,000 से अधिक का भुगतान प्राप्त करते हैं, उन्हें GST के लिए पंजीकरण करने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे उनका अनुपालन बोझ और परिचालन लागत बढ़ सकती है।
   * वे अतिरिक्त कर को समायोजित करने के लिए कीमतों में थोड़ी वृद्धि पर विचार कर सकते हैं।
 * डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए:
   * यह भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को औपचारिक बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
   * इसका उद्देश्य डिजिटल लेनदेन में अधिक पारदर्शिता और विनियमन लाना है।
महत्वपूर्ण बातें:
 * विवादित जानकारी: कुछ हालिया रिपोर्टों में, 18 अप्रैल, 2025 की प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति सहित, कहा गया है कि सरकार ₹2,000 से अधिक के UPI लेनदेन पर GST लगाने पर विचार नहीं कर रही है और ऐसे दावे "पूरी तरह से झूठे, भ्रामक और निराधार" हैं। यह पहले की उन रिपोर्टों का खंडन करता है जिनमें सुझाव दिया गया था कि प्रस्ताव विचाराधीन था।
 * डिजिटल भुगतान पर वर्तमान GST: वर्तमान में, कुछ उपकरणों, जैसे कि मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) का उपयोग करके किए गए भुगतानों से संबंधित शुल्कों पर GST लगाया जाता है। हालाँकि, जनवरी 2020 में पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) UPI लेनदेन पर MDR हटा दिया गया था, जिसका अर्थ है कि वर्तमान में इन लेनदेन पर कोई GST लागू नहीं है।
 * सेवा शुल्क पर ध्यान: कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि यदि कोई GST लागू होता है, तो यह संभवतः UPI प्लेटफार्मों द्वारा लगाए गए सेवा शुल्क (यदि वे भविष्य में शुल्क लेना शुरू करते हैं) पर होगा, न कि पूरी लेनदेन राशि पर।
UPI पर संभावित GST के लाभ (समर्थन में तर्क):
 * बढ़ी हुई पारदर्शिता और विनियमन: GST डिजिटल लेनदेन पर अधिक scrutiny ला सकता है, जिससे संभावित रूप से धोखाधड़ी कम हो सकती है।
 * औपचारिक अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन: यह व्यवसायों को डिजिटल भुगतान अपनाने और कर दायित्वों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
 * सरकारी राजस्व में वृद्धि: कर आधार का विस्तार सार्वजनिक कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए राजस्व में वृद्धि कर सकता है।
निष्कर्ष के तौर पर, जबकि ₹2,000 से अधिक के UPI लेनदेन पर संभावित GST के बारे में हाल ही में चर्चाएँ और रिपोर्टें आई थीं, नवीनतम आधिकारिक जानकारी से पता चलता है कि सरकार वर्तमान में ऐसा कोई कदम उठाने पर विचार नहीं कर रही है।


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